Android Smartphone Myths Hindi.
अब इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता की 2015 ग्लोबल वेब सूचकांक के अनुसार, अब 80 प्रतिशत मोबाइल यूजर स्मार्टफोन का उपयोग कर रहे हैं और यह संख्या दुनिया भर में बहुत ज्यादा हैं| एंड्रॉयड की दुनिया में कई मिथक है, जिनपर आम तौर पर सवाल नही उठाया जाता| इनमे से कुछ तो सिर्फ एक बार, कुछ निश्चित परिस्थितियों में और कुछ तो दुर्घटना से हो जाते हैं, और हम उन्हे सच मान लेते हैं| हम यहाँ सीधे स्मार्टफोन के मिथकों के बारे मे बात करेंगे जिन्होने रिकॉर्ड स्थापित किया हैं| इनमे से कुछ तो ऐसे हैं जिनके बारे मे सच पता चलने पर आपको आश्चर्य होगा की यह तथ्य नही है बल्कि मिथक हैं|
मिथक # 1: बैकग्राउंड ऐप्स को क्लोज करने से परफॉरमेंस बढ़ेगा|
फैक्ट: एप्पल और एंड्रॉयड दोनों मे मल्टीटास्किंग को तेजी से करने के लिए, ऐप्लीकेशन बैकग्राउंड मे रन होते हैं, लेकिन जितने अधिक ऐप्स बैकग्राउंड मे रन हो रहे है उतनी ज्यादा बैटरी का इस्तेमाल होगा? नही| आपको यह जानकर आश्चर्य होगा की एप्पल और एंड्रॉयड दोनों ही डिवाइसेस, बैकग्राउंड मे रन हो रहे ऐप्स को ज्यादा रिसोर्सेस इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं देते|
अगर आपके फोन पर कई ऐप्स ओपन हैं, लेकिन आप इस समय इन्हे इस्तेमाल नही कर रहे हैं, तो वे सिर्फ वहाँ होते है, फोन की बैटरी ड्रैन नही करते| वास्तव में, शायद ऐप क्लोज करने और फिर से रन करने से डिवाइस पर अधिक तनाव आता हैं, क्योकि इन ऐप्स को फिर से मेमोरी से लोड करना पड़ता हैं|
Task Killer ऐप, जिन्हे रन हो रहे हैं किसी भी टास्क को एंड करने के लिए डिजाइन किया गया हैं और वे आप जो बताएंगे वे सभी ऐप्स को क्लोज करते हैं| लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे वास्तव में आपके डिवाइस के परफॉरमेंस या बैटरी लाईफ में सुधार कर रहे हैं।
मिथक # 2: फोन रिचार्जिंग से पहले बैटरी पूरी तरह से डिस्चार्ज चाहिए|
फैक्ट: पहले बैटरी की लाईफ बढ़ाने के लिए उसे पूरी तरह से डिसचार्ज होना जरूरी था जब मैन्युफैक्चरर्स NiCad और NiMH बैटरी का उपयोग कर रहे थे। इन दिनों स्मार्टफोन मे लिथियम आयन बैटरी होती है, जिन्हे लंबे समय तक चलने के लिए चार्ज करना पड़ता हैं| लेकिन कुछ एक्सपर्ट सलाह देते है, की हर तीन महीने में एक बार पूरी तरह बैटरी डिसचार्ज होने पर चार्जिंग करना चाहिए| इससे बैटरी की लाईफ बढ़ती नही हैं, यह केवल फोन चार्ज को कैलिब्रेट करता हैं|
मिथक # 3: रात भर बैटरी चार्ज करना बैटरी के लिए बुरा है|
फैक्ट: यह मिथक अभी तक पुराने फोन का एक अवशेष हैं| जब आप लंबे समय तक अपने पुराने फोन को चार्ज करते थे, तो उसकी पुरानी लिथियम आयन बैटरी ज़्यादा गरम (या दुर्लभ मामलों में विस्फोट) होती थी| जिससे न सिर्फ बैटरी की चार्ज की कैपेसिटी पर असर होता था, लेकिन उसकी लाईफ पर भी बूरा असर होता था|
इन दिनों, इसे रोकने के लिए चार्जर और स्मार्टफोन काफी स्मार्ट हो रहे हैं। आधुनिक डिवाइसेस, बैटरी के चार्ज पर नजर रखते हैं और पूरे चार्ज होने पर चार्जिंग कट हो जाती हैं| इसलिए अगर रात भर अपने फोन को चार्ज करते हुए छोड़ दिया हैं, तो अब इसके बारे में चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है।
मिथक # 4: केवल ओरिजिनल चार्जर का उपयोग करना चाहिए|
फैक्ट: इस मिथक को अभी भी कई फोन मैन्युफैक्चरर्स द्वारा प्रचारित किया जाता है, ताकि आप प्रीमियम रेट पर उनके चार्जर्स को खरीद से और फोन मैन्युफैक्चरर्स की जेब में पैसा आ सके|
इस मामले की सच्चाई यह है कि, कोई भी चार्जर जो मैन्युफैक्चरर्स के स्पेसिफिकेशन के मुताबिक बनाया गया हो, फोन के साथ इस्तेमाल करने के लिए सुरक्षित होता हैं| लेकिन खरीदने से पहले आपको इस बात का पता होना चाहिए कि, सस्ता काम चलाऊ चार्जर और विश्वसनीय मैन्युफैक्चरर्स के चार्जर के बीच बहुत अंतर होता हैं| सस्ते काम चलाऊ का उपयोग करना खतरनाक हो सकता हैं, इसके लो क्वालिटी और घटिया सामग्री, आग और छोटे विस्फोट का कारण बन सकते है। आधुनिक यूएसबी चार्जर स्टैन्डर्डाइज़्ड होते हैं और अलग अलग चार्जर से चार्जिंग टाइम अलग अलग हो सकता हैं, लेकिन वे बैटरी लाईफ पर असर नही करते|
मिथक # 5: ब्लूटूथ, वाई-फाई, और लोकेशन सर्विस फोन की बैटरी को ड्रैन करते हें|
फैक्ट: ब्लूटूथ और वाई-फाई डायरेक्ट से आप तेजी से बड़ी फाइलों या अन्य डेटा को ट्रांसफर करते हैं, लेकिन क्या वे फोन की बैटरी को ड्रैन करते हैं? नहीं|
शुरुआती मॉडल मे वाई-फाई, ब्लूटूथ ऑन रख छोड़ने पर फोन की बैटरी फास्ट ड्रैन हो जाती थी| जबकि अब वाई-फाई और ब्लूटूथ की नई जनरेशन में, जब वे उपयोग मे नही होते तो बहुत कम या कोई पावर ड्रैन नही करते| लेकिन अगर आप अपनी मर्जी से इन्हे बंद करना चाहते है तो आपका स्वागत हैं, लेकिन इससे बैटरी लाईफ मे महत्वपूर्ण परिवर्तन देखने की उम्मीद न करें।
मिथक # 6: ऑटोमेटिक ब्राइटनेस बैटरी बचाता है|
फैक्ट: आधुनिक स्मार्टफोन आमतौर पर ऑटोमेटिक ब्राइटनेस के साथ आते हैं, जो प्रकाश की स्थिति के अनुसार अपनी स्क्रीन की ब्राइटनेस को बढ़ा या कम कर सकते हैं| आपको यह लग सकता हैं कि इससे बैटरी सेव होने मे मदद मिलेगी, लेकिन अगर आप सच में बैटरी बचाना चाहते हैं तो स्क्रीन की ब्राइटनेस को मैन्युअली कम करें और जब भी आवश्यक हो तब ब्राइटनेस को बढ़ाए| इसका कारण यह है कि, ऑटोमेटिक ब्राइटनेस में सेंसर को ब्राइटनेस कितना होना चाहिए यह जानने के लिए प्रोसेसर के साथ हमेशा संवाद स्थापित करना पड़ता हैं, जिससे वास्तव में अधिक पावर का उपयोग होता है|
इसलिए ब्राइटनेस को कम से कम आरामदायक स्तर पर रखना ही बेहतर हैं|
मिथक # 7: अधिक मेगापिक्सल मतलब बेहतर कैमरा|
फैक्ट: मेगापिक्सल सिर्फ स्मार्टफोन कैमरों के लिए एक मिथक नहीं हैं – यह किसी भी प्रकार के डिजिटल कैमरे के लिए भी एक मिथक रहा हैं। मेगापिक्सल बहुत मायने रखता है, लेकिन फोटो की क्वालिटी लाइट सेंसर्स कि कैपेसिटी पर भी निर्भर करती है| मेगापिक्सल कि साइज मेगापिक्सल के नंबर्स से अधिक मायने रखती है| इसलिए कभी कभी 8 मेगापिक्सल का कैमरा उसकी सेंसर साइज की वजह से 13 मेगापिक्सल कैमरे से बेहतर तस्वीरें देता है| इससे भी महत्वपूर्ण बात, सेंसर की क्वालिटी, लेंस और इमेज प्रोससिंग सॉफ्टवेयर जैसे कई फैक्टर्स पर परफॉरमेंस भिन्न हो सकते हैं।
मिथक # 8: एंड्रॉयड फोन पर अक्सर वायरस और अन्य मैलवेयर का अटैक होता हैं|
फैक्ट: तकनीकी तौर पर किसी भी फोन मे ऐसा “वायरस” नही होता जो खुद को दोहराते हुए दूसरे फोन मे प्रवेश करता हैं| एंड्रॉयड मैलवेयर मौजूद है, लेकिन वे गूगल प्ले से नही आते| अगर आप गूगल प्ले से ऐप्स इनस्टॉल कर रहे हो तो शायद ठीक हैं, लेकिन अगर आप पायरेटेड ऐप कही ओर से डाउनलोड कर रहे हैं तो आप बहुत जादा रिस्क ले रहे हैं|
एंड्रॉयड सिर्फ इसलिए मैलवेयर की चपेट में आते हैं, क्योकि इसमे एक्सटर्नल ऐप इनस्टॉल किए जा सकते हैं, जबकि एप्पल मे ऐसा नही होता|
मिथक # 9: अपने सेलफोन पर प्राइवेट ब्राउज़िंग से आप ट्रैकिंग और आप पर नज़र रखने से सुरक्षित हो जाएंगे|
फैक्ट: अधिकांश मोबाइल फोन ब्राउज़रों में प्राइवेट या गुप्त मोड होता है, लेकिन इस मोड में ब्राउज़ करते समय सिर्फ कोई भी ट्रैकिंग, कुकीज़ या हिस्ट्री डिवाइस पर स्टोर नही होती| इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर (चाहे वह Wi-Fi या जीएसएम हो), अथॉरिटी जिन्हे इसना एक्सेस हैं या साइट के ओनर से यह आपकी आइडेंटिटी, लोकेशन, एक्टिविटी और जो साइट आप विजिट कर रहे हों उन्हे छिपा नहीं सकते|
Android Smartphone Myths Hindi
स्मार्टफोन के बारे में 9 बातें, जिन्हे हम मानते हैं सच लेकिन असल में हैं झूठ
9 Smartphone Myths That Aren’t True In Hindi
Android Smartphone Myths Hindi. Here we are going to talk about many smarthpone myths, that people consider them as a truth. Android Smartphone Myths Hindi